पुस्तक समीक्षा
फिरते हुए दिनों की सीधी-सीधी कविताएँ
ताराचन्द ‘नादान’
कविता जब जो, जैसी लिखी गई है, यदि वैसी ही प्रेषित भी हो जाए, यानी सामने वाले तक वह ज्यों की त्यों पहुँच जाए और शब्द-चित्रा बनकर मनो-मस्तिष्क में...
पुस्तक समीक्षा
भूमंडलीकरण में कहानी अनेकों मुद्दों से जूझ रही है
कुसुमलता सिंह
हाल ही में वेदप्रकाश सिंह की शोधपरक पुस्तक ‘हिंदी कहानी और भूमंडलीकरण’ प्रकाशित हुई है। जैसा कि शीर्षक से ही स्पष्ट है कि भूमंडलीकरण के संदर्भ...